पुराणों पर मध्यकाल से ही विवाद होता आया है। अंग्रेज काल में अंग्रेजों ने इसे अप्रमाणिक ग्रंथ कहना शुरू किया था फिर उनका अनुसारण करते हुए हमारे तथाकथित इतिहासकारों ने भी उनकी हां में हां मिलाई और इस तरह पुराण को बिना समझे ही अप्रमाणिक ग्रंथ मान लिया ...
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